Apologies to my readers who can not read Hindi. This post could not have met justice in a language other than my mother tongue. If you can talk in Hindi and fully understand it , then grab a friend who can read this to you. Please do not use the google translator , it will just kill the spirit!
घर के बहार खड़ा बेचारा ग्रे स्कूटर गर्मी की लू में
परेशान प्यास से तिलमिला रहा था लेकिन टंकी
भरने की उम्मीद भी अब तो मर ही गयी थी.
पेट्रोल कब नसीब होगा यह तो अब ऊपर वाला ही
जानता है. "मिस्टर तो चले गए हैं दक्षिण भारत
अपनी कोई ट्रेनिंग अटेंड करने और मिस्सेस के
चेहरे से तो जैसे मुस्कान ऐसे गायब हो गयी जैसे
की पंचर टायर में से हवा. अब क्या बताऊँ आपको
, बड़े ही प्यारे हैं हमारे मिस्टर और मिस्सेस. याद
आते हैं मुझे वो दिन जब मिस्टर मुझे बड़ी स्टाइल
से स्टार्ट करते थे और मिस्सेस शर्माते हुए पीछे की
सीट पैर बैठती और फिर मीठी सी मुस्कान देते
हुए अपना एक हाथ मिस्टर के कंधे पर रख देती,
मिस्टर की ख़ुशी का तो ठिकाना ही न रहता और
वो पूछते "चलूँ क्या" . और फिर मैं हिचकोले खाता
, हवा से बातें करता हुआ चलता जाता, क्या दिन
थे वो !! कसम से दो हफ्ते हो गए किसी ने धुल
तक साफ़ नहीं की मेरी ...हाय ! विरह की घड़ियाँ तो
मिस्सेस गिन रही हैं लेकिन धुप में खड़ा खड़ा जल
मैं रहा हूँ . वैसे तो जब मिस्टर अकेले ही मुझ पर
सवारी करते हैं तो मुझ गरीब पर कुछ ख़ास ध्यान
नहीं देते , वो तो बस जिस दिन मिस्सेस से मिलन
होने वाला हो , वो जिसे कहते हैं न डेट, जब डेट हो
तब उनकी किस्मत के साथ साथ मेरी भी चांदी हो
जाती थी . मुझे खूब चमकाते हैं , डिक्की की साफ़
सफाई भी हो जाती है लेकिन मिस्सेस से मिलने
की उत्सुकता में पेट्रोल भरवाना भूल जाते हैं , पर
मिस्सेस बहुत ही पर्टिकुलर हैं भाई , वो तो बैठने से
पहले ही पूछती हैं "पेट्रोल भरवाया" और फिर दोनों
अपना कोई भी काम करने से पहले मेरा पेट पूजन
करवा देते हैं. मिस्सेस तो मेरा बहुत ही ख्याल
रखती हैं , जब भी कहीं पार्किंग करनी हो तो उनके
कहे अनुसार मुझे हमेशा पेड़ की छाया में पार्क
कीया जाता है जिससे की मेरा रंग न हल्का पड़
जाये. कभी भी दावा दारू की ज़रुरत हो तो मिस्सेस
पहले मुझे मकैनिक के पास ले जाने को कहती हैं
और उसके बाद ही अपनी डेट की सोचती हैं .
लेकिन उनकी मुस्कान तो मिस्टर की मौजूदगी में
ही दिखाई देती है , इतना ख़याल जो रखते हैं
मिस्टर उनका . मैं तो बस येही सोच सोच तड़प रहा
हूँ की कब यह हसीन जोड़ा मुझ पर सवार हो,
हिचकोले खाता अपनी मुस्कुराहटों का लेन देन
करेगा और कब मेरी पेट्रोल को तरसती टंकी अपनी
प्यास बुझा पायेगी और मैं तेज़ रफ़्तार से दौड़ता
हुआ दोबारा इन सड़कों पर अपने पहिये चलाऊंगा .
यहाँ खड़ा खड़ा धुल मिटटी खा रहा हूँ अब तो
लगता है दमे का मरीज़ ही ना बन जाऊं . अच्छा
दोस्तों तुम तो निकलो अपने अपने सफ़र पर और
कोई दुःख सुख बाटने वाला ना मिले तो मैं तो यहीं
खड़ा हूँ ना जाने कब तक, आ जाना भैया .
अलविदा !"
Wonderful... !! you just rekindled a memory... !! I will post it and let you know !
ReplyDeleteposted !
ReplyDeleteWhat an imagination, Sandhya, beautiful! Yes, you can express yourself in this way, only in your mother tongue. I make grammar mistakes, so hesitate to write in Hindi.
ReplyDeleteAnyway, enjoyed reading your post! Good luck! Came here from Dhiren's!
Ati sundar :-)
ReplyDeleteMister and Misses ki adbhut, romaantik kahani, ek dhoop mein khade two wheeler ki zubaani :)
ReplyDeleteSuperb!!! I have to read this one out to my mom :)
ha ha ha ha :)
ReplyDeleteमज़ेदार
आनंद आ गया
@Hitchwriter: I guess everyone in India has a scooter memory!
ReplyDelete@Sandhya: Welcome to the blog!
@Shilpa: Welcome to the blog Shilpa! That scooter is so dear to me still!
@IHM: Please so, do share what she has to say about it!
@Anil: I am glad!
Kya khoob sunaayi,Sandhya,aapne mister,misses aur two-wheeler ki kahani. Maza aa gaya!!
ReplyDeletewhat a post !! Lovely... :)
ReplyDelete@deeps: :-), likhaney mein bhi utna hi mazaa aya!
ReplyDelete@Nu: Welcome here!